सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस ने प्रदान के साथ की साझेदारी

- जिसका लाभ झारखंड में 1,00,000 छोटे एवं सीमांत किसानों को मिलेगा
- यह घोषणा राँची में इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी शोकेज़ में की गई। इस अवसर पर झारखंड सरकार में माननीय मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं सहकारी विभाग, शिल्पी नेहा तिर्की मौजूद थीं।
राँची: बैंगलोर स्थित इनोवेशन, क्योरेशन एवं वेंचर डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म, सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस ने घोषणा की है कि वो विभिन्न हितधारकों के सहयोग से राज्य में 1,00,000 छोटे एवं सीमांत किसानों को सशक्त बनाएंगे। इस सहयोग के अंतर्गत कृषि मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने, महिला किसानों को सशक्त बनाने तथा स्थानीय स्तर पर जलवायु के लिए स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने पर काम किया जाएगा, ताकि खेती की उत्पादकता एवं सस्टेनेबिलिटी बढ़ाई जा सके।
सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस अगले चार सालों तक उत्पादन-पूर्व से लेकर फसल कटाई के बाद तक कृषि की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे। इसका लाभ झारखंड के 20 ब्लॉक्स में 20 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की 40,000 महिला किसानों को मिलेगा, जो ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन का नेतृत्व करेंगी। यह कार्य सस्टेन प्लस और प्रदान की साझेदारी के अंतर्गत किया जाएगा। महिलाओं पर केंद्रित अभियानों की मदद से ग्रामीणों और आदिवासियों की आजीविका में सुधार लाने वाले राष्ट्रीय विकास संगठन, प्रदान (प्रोफेशनल असिस्टैंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन) द्वारा ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन एवं क्षमता निर्माण किया जाएगा। इस साझेदारी द्वारा उत्पादन में स्थिरता लाई जाएगी और परिवारों को मूल्य श्रृंखला में ऊपर उठने में मदद की जाएगी। यह पहल मध्य भारत के अन्य ज़िलों में इसी तरह के मॉडल का विस्तार करने के लिए एक आधार का काम करेगी। ये मॉडल नागरिक समाज संगठनों, टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और सरकारी विभाग के सहयोग से चलाए जाएंगे।
इस योजना की घोषणा 16 अक्टूबर, 2025 को राँची में आयोजित इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी शोकेस में की गई, जिसका विषय ‘‘फ्रॉम पायलट टू स्केलः टर्निंग एक्सपेरिमेंट्स इनटू ट्रांसफॉर्मेशन’’ था। इस कार्यक्रम में सरकारी नेतृत्वकर्ताओं, इनोवेटर्स, सीएसआर पार्टनर्स एवं सामुदायिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और यह जाना कि समुदाय-केंद्रित टेक्नोलॉजी झारखंड में किस प्रकार समावेशी ग्रामीण विकास संभव बना सकती हैं।
झारखंड सरकार में मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं सहकारी विभाग, शिल्पी नेहा तिर्की इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं। उन्होंने सस्टेन प्लस और प्रदान की साझेदारी का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों में मुकेश कुमार, सचिव, योजना विभाग; भोर सिंह यादव, निदेशक, कृषि विभाग; अनन्या मित्तल, सीईओ, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी (जेएसएलपीएस) शामिल थे। उन्होंने राज्य में जलवायु के प्रति सहनशीलता का विकास करके आजीविका में सुधार लाने के लिए इनोवेशन और साझेदारी पर आधारित पहलों में सहयोग देने की सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में बताया।
झारखंड सरकार में मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं सहकारी विभाग, शिल्पी नेहा तिर्की ने सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस के ज़मीनी कार्यों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘हमारे किसानों को केवल खेती तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें खेती से संबंधित दूसरी गतिविधियों में भी शामिल होना चाहिए। अगर बेहतर समाधानों का निर्माण करना है, तो पहले हमें समस्याओं को ज़मीनी स्तर पर समझना होगा। तभी हम यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि ये समाधान आपके जैसे संगठनों के माध्यम से हमारे गाँवों तक पहुँच सकें। सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस जैसे संगठन दूरदराज के और वंचित क्षेत्रों में पहुँचकर जिस प्रकार समुदायों और टेक्नोलॉजी के बीच के अंतर को दूर कर रहे हैं, वह सराहनीय है। हमें मिलकर इन इनोवेशंस को सरकारी योजनाओं में शामिल करना होगा ताकि उनका लाभ झारखंड के हर किसान को मिल सके।’’
सोशल एल्फा का फुल-स्टैक आर्किटेक्चर विचारों को लैबोरेटरी से समुदायों तक ले जाता है। इस कार्यक्रम में स्वच्छ ऊर्जा, कृषि टेक्नोलॉजी और आजीविका विस्तार के लिए काम करने वाले चौदह स्टार्टअप्स के समाधानों का प्रदर्शन किया गया। इन स्टार्टअप्स ने दिखाया कि आजीविका की मुख्य समस्याओं को हल करने पर केंद्रित इनोवेशन किस प्रकार छोटे भूमिधारक किसानों, महिला समूहों और सूक्ष्म उद्यमियों को समर्थ बनाकर उन्हें व्यवस्थित और सस्टेनेबल तरीके से मूल्य श्रृंखला में ऊपर उठने में मदद कर रहें हैं।
यहाँ प्रदर्शित किए गए स्टार्टअप्स हैंः
* खेथवर्क्स और रूरल रूट्स रिन्यू सॉल्यूशंस – लघु सिंचाई पम्पिंग समाधान
* एक्साइड – सौलर सिलाई इकाइयाँ
* रानी एंटरप्राइज़ – पोल्ट्री लाइटिंग
* डीडी सोलर और टैन90 – सौलर रेफ्रिजरेशन
* ब्लैकफ्रॉग – वैक्सीन कैरियर
* खेती – पॉली नर्सरी
* रहेजा सोलर – सौलर ड्रायर
* एक्सेलेरो – गतिशीलता समाधान
* मारुत – ई-ट्रैक्टर
* नियो – पहिए पर लगे स्प्रेयर
* सॉइलसेंस – त्वरित मृदा परीक्षण
* स्टेपअपिफाई – बैटरी से चलने वाला अंतर-कृषि उपकरण
किसानों, सेल्फ-हेल्प समूह के सदस्यों और एफपीओ प्रतिनिधियों ने इन इनोवेटर्स से प्रत्यक्ष बातचीत की और जाना कि इस तरह की टेक्नोलॉजी किस प्रकार उत्पादकता बढ़ा सकती हैं, कड़े परिश्रम में कमी ला सकती हैं, तथा आजीविका के नए अवसरों का निर्माण कर सकती हैं।
सोशल एल्फा के को-फाउंडर, गणेश नीलम ने कहा, ‘‘झारखंड उच्च प्रभाव वाली टेक्नोलॉजी के परीक्षण और विस्तार की प्रयोगशाला बन गया है। यहाँ पर समुदायों, सरकारी हितधारकों और अन्य नागरिक संगठनों के साथ साझेदारी करके हमारा उद्देश्य सभी समुदायों तक लैबोरेटरी के संपूर्ण समाधान पहुँचाना है ताकि लोगों के जीवन और हमारे गृह पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सके। टेक्नोलॉजी की मदद से समुदायों को सशक्त बनाकर व्यापक प्रभाव उत्पन्न करना ही सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस का उद्देश्य है।’
पिछले पाँच सालों में सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस ने झारखंड के तेरह ज़िलों में ग्रामीण आजीविका प्रणाली में विकेंद्रीकृत रिन्युएबल एनर्जी (डीआरई) का एकीकरण किया है। 900 गाँवों में 4,300 से अधिक स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों की स्थापना की गई है। प्रोडक्शन केंद्र के दृष्टिकोण से 16,000 से अधिक कृषि परिवारों को लाभ मिला है। इन प्रयासों की बदौलत 7,600 एकड़ में सिंचाई का विस्तार हुआ है, जिसमें से 4,700 एकड़ जमीन पर खेती की शुरुआत नई है। यह मुख्यतः सोलर लिफ्ट इरीगेशन एवं अन्य डीआरई-पॉवर्ड आजीविका समाधानों द्वारा संभव हुआ है। इनमें से लगभग दो-तिहाई प्रणालियों का स्वामित्व व्यक्तिगत है, जिससे स्थानीय स्तर पर टेक्नोलॉजी का सशक्त उपयोग और सस्टेनेबिलिटी प्रदर्शित होती है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत झारखंड मिल्क फेडरेशन के साथ भी सहयोग किया गया है। नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) और सस्टेन प्लस एवं अन्य की साझेदारी में 125 यूनिटों और स्लरी प्रोसेसिंग सिस्टम की स्थापना की गई है। यह डेरी की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है, जिसका लाभ राज्य में 10,000 से अधिक डेरी किसानों को मिल सकेगा।
अयान देब, प्रोग्राम डायरेक्टर, सोशल अल्फा ने कहा, ‘‘आज हम छोटे स्तर के प्रयोगों को व्यवस्था में परिवर्तन लाते देख रहे हैं। हमारे सामूहिक प्रयास से प्रदर्शित होता है कि टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का उपयोग जब समावेशिता के साथ होता है, तब समुदाय की समस्याओं का हल होता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन आता है। अब अगले चरण में साझेदारियों के साथ विकास होना है और झारखंड इसके लिए तैयार है।’
कार्यक्रम का समापन एक नेटवर्किंग सत्र के साथ हुआ, जिसमें स्टार्टअप्स, सीएसआर पार्टनर्स और सरकारी विभागों ने हिस्सा लिया और सहयोग एवं विस्तार के अवसर टटोले। झारखंड में सोशल एल्फा और सस्टेन प्लस का सहयोग मजबूत होने के साथ अब ध्यान इस बात पर केंद्रित किया जाना है कि महिलाओं के किसान समूह टेक्नोलॉजी का उपयोग करके उसे प्रयोग के चरण से अभ्यास के चरण तक ले जाएं ताकि उनके समुदायों में सस्टेनेबल परिवर्तन आ सके।