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चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद,अब गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर में होंगे रुद्रनाथ भगवान के दर्शन

चमोली। रुद्रनाथ मंदिर पुरे उत्तर भारत में एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां पर भगवान शिव के मुख दर्शन होते हैं, यह मंदिर उत्तराखंड के पांच केदारों में से चतुर्थ केदार के रूप में प्रसिद्ध है। कपाट बंद होने के बाद भगवान श्री रुद्रनाथ जी की उत्सव विग्रह डोली अपनी शीतकालीन गद्दीस्थल श्री गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर के लिए रवाना हुई। अब अगले छह महीनों तक,शीतकाल के दौरान, श्रद्धालु चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना गोपीनाथ मंदिर (गोपेश्वर) में कर सकेंगे।
चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधि विधान के साथ आज ब्रह्म मुहूर्त के बाद बंद कर दिए गए हैं इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने इस वर्ष के अंतिम दर्शन किए देश की अलग-अलग कोनों से ए श्रद्धालुओं ने यहां की अलौकिक सुंदरता एवं आध्यात्मिक की अनुभूति महसूस करते हुए बताया कि चतुर्थ केदार रुद्रनाथ तक पहुंचाना एक चुनौती जरूर है लेकिन जब 19 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद मंदिर पहुंचने हैं तो यहां पर अलग ही तरह की ऊर्जा का सृजन होता है जो आपके पूरे रास्ते भर के सभी परेशानियों को भुला देता है। मुख्य पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि पौराणिक परंपराओं के अनुसार शीतकाल के दौरान 6 माह के लिए भगवान रुद्रनाथ के कपाट आम श्रद्धा वालों के दर्शन आरती बंद कर दिए जाते हैं और उसके बाद भगवान की उत्सव डोली उनकी शीतकालीन गद्य स्थल गोपीनाथ मंदिर में विराजमान रहती है 6 माह तक भगवान रुद्रनाथ की नित्य पूजा अर्चना है गोपीनाथ मंदिर में होती है जो श्रद्धालु रुद्रनाथ तक नहीं पहुंच पाते हैं वह भगवान रुद्र के दर्शन गोपीनाथ मंदिर में कर सकते हैं।
बताते चलें कि करीब 11,808 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में पहुंचने के लिए कई बुग्याल पार कर 19 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। बृहस्पतिवार (आज) 17 अक्तूबर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रुद्रनाथ जी का प्रातः कालीन अभिषेक, पूजाएं संपन्न होने के बाद भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर के लिए रवाना हो गई है। मंदिर परिसर में मौजूद सैकड़ो श्रद्धालु इस अलौकिक अवसर के साक्षी बने। उच्च हिमालई शिव धाम श्री रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के एकानन यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में की जाती है।
रुद्रनाथ के पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि सुबह चार बजे से भगवान रुद्रनाथ की पूजा शुरू हो गई थी। सभी पूजाएं संपन्न कराने के बाद सुबह छह बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। साढ़े सात बजे डोली ने रुद्रनाथ से प्रस्थान किया। पंच गंगा, पितृधार होते हुए पनार गुग्याल होते मोली बुग्याल पहुंचेगी। वहां भगवान को राजभोग लगेगा (नए अनाजों का भोग)। वहां से डोली सगर गांव पहुंचेगी। यहां पर भी नए अनाज का भोग लगाया जाएगा।सूर्यास्त होने से पहले डोली गोपीनाथ मंदिर पहुंच जाएगी और यहां भगवान को नए अनाज का भोग लगाया जाएगा। छह माह तक भगवान रुद्रनाथ की डोली गोपीनाथ मंदिर परिसर में विराजमान रहेगी। बताया कि कपाट बंद होने पर भगवान को मंदार (बुखला) के 251 पुष्प गुच्छों से ढका जाएगा। कपाट खुलने पर इन फूलों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
रुद्रनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव का एक मन्दिर है जो कि पंचकेदार में से एक है। रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शंकर के एकानन यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर के सामने से दिखाई देती नन्दा देवी और त्रिशूल की हिमाच्छादित चोटियां यहां के आकर्षण को और भी ज्यादा आकर्षित करती हैं।

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