उत्तराखंड

उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए 4000 करोड़ की घोषणा

उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए 4000 करोड़ की घोषणा
– मोदी को याद आया छोलिया नृत्य, झंगोरे की खीर …अरसे .. सिंगोरी और बाल मिठाई
– वाइब्रेंट विलेज योजना से रोकेंगे सीमान्त गांवों का पलायन
पिथौरागढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केदारखंड की तरह मानसखंड का विकास कर नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि मानसखंड में भी अब धम , धम होने वाला है।अपनी यात्रा के दौरान पीएम ने उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए 4000 करोड़ देने की घोषणा की। . पिथौरागढ़ आकर पीएम ने उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन, नृत्य,त्योहार, व मिठाइयों के नाम का सिलसिलेवार उल्लेख कर पहाड़ से पुराने नाते की याद ताजा की जिसका जनसमूह ने तालियां बजाकर इस्तकवाल किया। मोदी ने पांडव नृत्य, कौथिग, छोलिया, हरेला, फूलदेई, रम्माण, बग्वाल, रोट, अरसे, कफली, सिंगोरी, पकोड़े, झंगोरे की खीर, रायता, बाल मिठाई, सिंगोरी का उल्लेख कर उत्तराखण्ड की मजबूत सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि पहाड़ की मिठाइयों का स्वाद भला कौन भूल सकता है।
मोदी के कुमाऊं दौरे की शुरुआत आदि कैलाश, पार्वती कुंड,सीमान्त गुंजी गांव, सैनिकों व स्थानीय जनता से मेल मिलाप के साथ हुई। गुंजी में स्थानीय जनता से उनका हाल जानने के बाद सैनिकों का भी खूब हौसला बढ़ाया। चंपावत के अद्वैत आश्रम से अपने जुड़ाव को याद किया। दोपहर को पिथौरागढ़ में विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए विपक्षी दल कांग्रेस के अभी तक किये गए प्रयासों पर प्रहार करते हुए सीमांत इलाके के लिए भाजपा सरकार की योजनाओं का खाका खींचा और लोगों को भरोसा दिलाया कि केंद्र और उत्तराखंड में धामी सरकार राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए तेजी से काम कर रही है।
मोदी ने अपने सम्बोधन में जी 20, विदेशों में भारत का मान, संसद व विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, OROP, चारधाम परियोजना, उड़ान सेवा, चंद्रयान व एशियाड में भारत के उल्लेखनीय प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए उत्तराखण्ड के बैडमिंटन खिलाडी लक्ष्य सेन व वंदना कटियार की सफलता को जिक्र भी किया। उन्होंने लक्ष्य सेन के परिवार की भेंट अल्मोड़ा की बाल मिठाई व सिंगोरी की भी याद दिलाई।

पीएम ने कहा कि मानसखंड को भी केदारखंड की ऊंचाई तक ले जाएंगे। उनके यहां आने के बाद आदि कैलाश से लेकर जागेश्वर तक खूब धमधम होने वाली है। तैयारी करिये, मानसखंड में यात्रियों की संख्या बढ़ने वाली है। आदि कैलाश, ॐ पर्वत पार्वती कुंड के दर्शन को अब पर्यटक आएंगे। उत्तराखण्ड से अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनके लिए न ही ये रास्ते नये हैं और न ही लोग नये हैं। आज भी लोग अपने दुख दर्द और खुशी की सूचना चिठ्ठी के जरिये देते हैं। .उन्होंने कहा कि यह बात कही जाती है कि पहाड़ का पानी व जवानी यहां के काम नहीं आता। हमने संकल्प लिया है इसे बदलकर दम लेंगे। पर्यटन व तीर्थाटन को पीएम ने प्रदेश के विकास का मंत्र बताते हुए कहा कि आप पर्यटन कारोबार की तैयारी कीजिए यहां अब पर्यटक भारी संख्या में आने वाले हैं।

पीएम मोदी ने वाइब्रेंट विलेज के तहत सीमान्त के गांवों से हुए पलायन को रोकने की बात कही। कहा कि, आज सीमान्त इलाके में कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ स्वरोजगार की भी नीतियां बनाई जा रही है। यह भी जोड़ा की पूर्व की सरकारों ने सीमान्त इलाके का इसलिए विकास नही किया कि दुश्मन अंदर घुस आएगा। लेकिन हमने यह सोच बदली है। हम न तो किसी को डराते हैं और न ही डरते हैं।अब सीमान्त गांवों को अंतिम नहीं देश का पहला गांव माना है। महिला स्वंय सहायता समूह को मिलने वाले ड्रोन से विकास की नई इबारत लिखी जाएगी। .मोदी ने वाइब्रेंट विलेज के अलावा सेब बागान,पॉली हाउस पर खर्च होने वाले 1100 करोड़ की धनराशि और मोटा अनाज को बढ़ावा देने सम्बन्धी कार्यों का जिक्र कर भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

पीएम मोदी ने लगभग 45 मिनट के भाषण में विपक्ष पर इशारों ही इशारों में प्रहार कर जनता को यह बताने में कोई गुरेज नहीं किया कि इस अमृत काल में बद्री- केदार व आदि कैलाश के आशीर्वाद से अपने संकल्पों को तेजी से पूरा करेंगे। और 21वीं सदी के इस दशक को उत्तराखण्ड का बनाएंगे।पीएम ने कहा सरकार होम स्टे को प्रोत्साहित कर रही है। टूरिज्म सेक्टर में कम पूंजी में बेहतर रोजगार की संभावना होती है। दुनियां के लोग भारत आना चाहते हैं।


आपदा प्रबंधन के लिए 4000 करोड़
उत्तराखंड में आने वाले चार से पांच साल के भीतर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और राहत-बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से अंजाम देने के लिए मजबूत नेटवर्क तैयार किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पिथौरागढ़ में इस आशय की घोषणा की। चार साल में करीब चार हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजट उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन सिस्टम को प्रभावी बनाने में होगा।

पीएम की इस घोषणा को राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य में हर साल खासकर मानसून सीजन के दौरान प्राकृतिक आपदाओं की वजह से काफी नुकसान होता है। एक सामान्य आंकलन के अनुसार 800 से एक हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान उत्तराखंड को उठाना पड़ता है।

हालिया कुछ वर्षों से मौसम में आए बदलाव के कारण प्राकृतिक आपदाओं का कहर केवल मानसून सीजन तक ही सीमित नहीं है। अतिवृष्टि, बाढ़, हिमस्खलन की घटनाएं मानसून सीजन से पहले या बाद में भी होने लगी हैं। इस साल मानसून सीजन के दौरान अब 104 लोगों की जान गई है। 1000 करोड़ से अधिक संपत्ति का नुकसान हो चुका है

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