सहकारी बैंक भर्ती घोटाले में बोर्ड समेत अफसरों पर गिरेगी गाज
सहकारी बैंक भर्ती घोटाले में बोर्ड समेत अफसरों पर गिरेगी गाज, बैंक अध्यक्ष, डीआर, जीएम, एआर की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल, हरिद्वार बैंक भर्ती घपले में पहले पूर्व अध्यक्ष पर हो चुकी है कार्रवाई
देहरादून। जिला सहकारी बैंक भर्ती घपले में गड़बड़ी की पुष्टि हो गई है। जांच समिति ने विस्तृत रिपोर्ट में एक सिरे से गड़बड़ियों को खोल दिया है। अब कार्रवाई की तैयारी है। कार्रवाई की जद में न सिर्फ सहकारिता और बैंकों के अफसर आ रहे हैं, बल्कि बैंकों के बोर्ड पर भी खतरा मंडरा रहा है।
जांच रिपोर्ट में ये साफ हो गया है बैंकों के स्तर पर गठित इंटरव्यू बोर्ड ने नंबर देने में जमकर मनमानी की। इंटरव्यू बोर्ड में बैंक अध्यक्ष, सहायक निबंधक और बैंक महाप्रबंधक शामिल रहे। इन तीनों के स्तर से ही नंबर दिए गए। ऐसे में यदि कार्रवाई होती है, तो बोर्ड के इन सभी सदस्यों के ऊपर खतरा पैदा हो सकता है, जिसकी पूरी संभावना नजर आ रही है। क्योंकि हरिद्वार जिला सहकारी बैंक भर्ती घपले में महाप्रबंधक, सहायक निबंधक के खिलाफ कार्रवाई हुई। अध्यक्ष को हटा दिया गया था।
देहरादून, यूएसनगर और पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंक भर्ती घपले की पुष्टि होने के बाद इन तीनों बैंकों के बोर्ड को भंग करने का भी सख्त फैसला लिए जाने की संभावना जताई जा रही है। इसे लेकर भी विधिक राय जुटाई जा रही है। ताकि बाद में कोई कानूनी अड़चन न आए। शासन स्तर पर की जा रही इस तैयारी को लेकर बैंक प्रबंधनों के पसीने छूट रहे हैं।
संकट में आ जाएंगे कर्मचारी
भर्ती घपले की पुष्टि होने का सबसे बुरा असर कर्मचारियों पर पड़ेगा। जिस तरह हरिद्वार जिला सहकारी बैंक में कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थी, वैसा ही कुछ फैसला न सिर्फ इन तीनों बैंकों में हो सकता है। बल्कि पूरे राज्य के बैंकों में हुई भर्ती प्रक्रिया को भी निरस्त किया जा सकता है। देहरादून, यूएसनगर, पिथौरागढ़ को छोड़ अन्य बैंकों ने रिजल्ट जारी नहीं किए थे।
चुनाव लड़ने पर लग सकता है प्रतिबंध
जिन बैंकों में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है, उनके अध्यक्षों पर भी संकट मंडरा गया है। हरिद्वार डीसीबी के पूर्व अध्यक्ष की तरह न सिर्फ उन्हें हटाया जा सकताा है, बल्कि कुछ सालों के लिए सहकारिता से जुड़े चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। ऐसा हुआ, तो कई अध्यक्षों का राजनीतिक भविष्य संकट में आ जाएगा। इन बैंकों का कार्यकाल भी अब बामुश्किल एक साल ही बचा है।
नपेंगे आचार संहिता के बीच में ही फाइलें दौड़ाने वाले अफसर
भर्ती घपले में आचार संहिता के बीच फाइलें दौड़ाने वाले अफसर भी शासन के निशाने पर हैं। कैसे आचार संहिता के बीच भर्ती को अनुमोदन दिया गया। क्यों नई सरकार के गठन और मंत्रालय आवंटन से पहले ही रातों रात आनन फानन में न सिर्फ मंजूरी दी गई, बल्कि ज्वाइन भी करा दिया गया। कई बैंकों ने तो 29 मार्च को सहकारिता मंत्री के ज्वाइन न कराने के आदेश के बावजूद बैक डेट में ही ज्वाइनिंग करा दी। अब इन अफसरों की भी नींद उड़ी हुई है।
जांच रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है। उसके सभी पहलुओं का परीक्षण होगा। जल्द जांच रिपोर्ट पर फैसला ले लिया जाएगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी के लिए दोषी पाए जाने पर कार्रवाई तय है।
बीवीआरसी पुरुषोत्तम, सचिव सहकारिता