उत्तराखंडदेहरादून

हास्य कलाकार घनानंद ‘घन्ना भाई’ के निधन से शोक में कलाकार वर्ग

देहरादून । उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद का इंद्रेश हॉस्पिटल में निधन हो गया। घनानंद को प्रोस्टेट की दिक्कत थी। जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन आज कार्डियक अरेस्ट की वजह से उनका निधन हो गया। हास्य कलाकार घनानंद के निधन के बाद मुख्यमंत्री समेत तमाम कलाकारों और नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की है। वहीं पत्रकारों में भी उनकी अच्छी खासी पहचान थी और पत्रकार उनके हास्य अंदाज के कायल थे।

स्वतंत्र पत्रकार कुलदीप राणा ने हास्य कलाकार घनानंद के निधन पर दुख जताया उन्होंने कहा कि ‘जब राज्य का निर्माण नहीं हुआ था उस दौरान घन्ना भाई का हास्य उत्तराखंड की संस्कृति में गूंथा हुआ था। घन्ना भाई उत्तराखंड की संस्कृति को साथ लेकर लोगों को हंसाते थे। साथ ही उनका हास्य लोगों को जगाने वाला भी था। घन्ना भाई का हास्य उत्तराखंड के लोगों को भीतर तक जीवंत करने वाला था। साथ ही राज्य आंदोलन के दौरान कई बार ऐसा मौका आया। जब आंदोलनकारी थक जाते थे उस दौरान घनानंद मंच पर आकर अपने हास्य और व्यंग्यपूर्ण शैली में न सिर्फ मुद्दों की जीवित रखते थे बल्कि लोगों की थकान भी दूर कर देते थे।

उत्तराखंड के तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों को बरकरार रखने भी उनकी बड़ी भूमिका है, क्योंकि घन्ना भाई अपने कॉमेडी में पर्यावरण और उत्तराखंड के जंगल को भी हिस्से बनाते थे। इसके बाद जब टीवी इंडस्ट्री का दौर शुरू हुआ उस दौरान घन्ना भाई तमाम गीतों में भी नजर आए। खासकर ‘गढ़ रत्न’ नरेंद्र सिंह नेगी के गीतों में घन्ना भाई की बड़ी भूमिका रही। उनका हास्य एक दम सरल और सहज था। उत्तराखंड का कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो घन्ना भाई को नहीं जानता होगा। हालांकि, लोग घन्ना भाई का असली नाम नहीं जानते हैं लेकिन उनको घन्ना भाई के नाम से सभी लोग जानते हैं- कुलदीप राणा, स्वतंत्र पत्रकार

उत्तराखंड रंगमंच के मझे हुए कलाकार घन्ना भाई का जन्म 1953 में पौड़ी के गगवाड़ा गांव में हुआ। उनकी शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन जिला पौड़ी गढ़वाल से हुई। घनानंद उर्फ घन्ना भाई ने वन विभाग में अपनी सेवा देने के साथ ही एक हास्य कलाकार के रूप में अपने सफर की शुरुआत की और राजनीतिक सफर में सक्रिय रहे। घनानंद विधानसभा का चुनाव भी पौड़ी से लड़े हालांकि वे जीत नहीं पाए। वहीं बीजेपी नेता के साथ वे प्रदेश लोक संस्कृति विभाग के उपाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने हास्य कलाकार के रूप में अपने सफर की शुरुआत की थी और 1970 में रामलीलाओं में भी काम किया था। साल 1974 में घनानंद ने रेडियो और फिर बाद में दूरदर्शन पर कार्यक्रम दिए। उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है। इन फिल्मों में घरजवें, चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, ब्वारी हो त यनि काफी पसंद की गईं। इसके साथ ही घनानंद ने घन्ना भाई एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज में भी बेहतरीन अभिनय किया। उनके निधन के बाद से उनके प्रशंसक स्तब्ध हैं।

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