उत्तराखंड

सैन्य धाम के शिलान्यास पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले कुछ ताकतें भारत और नेपाल के रिश्ते बिगाड़ना चाहती हैं

देहरादून।
सैन्यधाम के शिलान्यास के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ ताकतें भारत व नेपाल के रिश्ते बिगाडना चाहती हैं। पर हम कभी ये रिश्ते टूटने, बिखरने नहीं देंगे।1971 में ठीक पचास साल पहले सेना के पराक्रम के बूते ही पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया।भारत का चरित्र रहा कि कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया या किसी की एक इंच भूमि पर नजर नहीं डाली। पर किसी ने आंख दिखाई तो उसे मुंहतोड जवाब दिया जाएगा।
बुधवार को देहरादून के गुनियाल गांव में उत्तराखण्ड के पंचम धाम-सैन्यधाम का भूमि पूजन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी रहे।
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार साल पहले पांचवें धाम की बात कही थी। राज्य सरकार ने इसे आगे बढाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सैन्य धाम का निर्माण जल्द से जल्द पूरा होगा। कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है। शौर्य और पराक्रम की भूमि है। कहा कि शहीद वह होता है जो निडर होता है। जिसके मन में राष्ट्रीय स्वाभिमान की प्रबल भावना होती है। इस सैन्य धाम में जो भी आएगा राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना लेकर जाएगा। देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा लेकर जाएगा। जनरल बिपिन रावत को याद करते कहा कि वह सदियों तक स्मृति में जिंदा रहेंगे। भारत अपनी सांस्कृतिक जडों से जुडा रहे, यह प्रयास है। अपनी संस्कृति से दूर व्यक्ति कटी पतंग की तरह होता है।सैन्य धाम में हर शहीद का नाम बडे अक्षरों में अंकित होना चाहिए।आनलाइन श्रद्धांजलि की व्यवस्था भी सैन्य धाम में होनी चाहिए। देश की सुरक्षा में अपना योगदान देने वाले वीरों के लिए सरकार हमेशा खडी है।सेना को पूरी स्वतंत्रता दी है।सर्जिकल स्ट्राइक से यह संदेश दिया है कि दुश्मन को इस पार तो मार ही सकते हैं। जरूरत पडी तो उस पार भी जाकर मार सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की प्रतिष्ठा बढी है। हर बात आज गंभीरता से सुनी जाती है।ढांचागत सुविधाओं का लगातार विस्तार किया जा रहा है। उत्तराखंड में रेल, रोड व एयर कनेक्टिविटी पर काम हुआ है। चारधाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी है।देहरादून एयरपोर्ट की क्षमता पांच गुना बढाई जा रही है।श्रषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का काम तेजी से चल रहा है। यानी उत्तराखंड में हम पर्यटन के महत्व को भी समझते हैं। आल वेदर रोड का सामरिक महत्व भी है। कहा कि रक्षा उत्पाद में भारत आत्मनिर्भर हुआ है।पहले 65 फीसद आयात होता था। आज हम 72 देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं।

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