उत्तराखंड

नहीं रहे पत्रकार, साहित्यकार, फिल्मकार डा.आर के वर्मा

नहीं रहे पत्रकार, साहित्यकार, फिल्मकार डा.आर के वर्मा
देहरादून। पत्रकार ,साहित्यकार और फिल्मकार डा.आर के वर्मा ने आज 83 वर्ष की उम्र में अपने गांधी रोड स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वे पिछले लंबे समय से बीमार थे और घर पर ही थे।

देश में पहली बार इमरजेंसी लगने के दौरान देहरादून से कुछ ही समाचार पत्र प्रकाशित होते थे और उनमें डॉ आरके वर्मा का अहम किरदार अदा था। उत्तराखंड के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, देहरादून के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास,नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज, राजनीति के चुटकुले आदि प्रमुख पुस्तके डा आर के वर्मा ने लिखी थी। जिन्हे देश दुनिया में सराहा गया। दैनिक नवजीवन, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के जर्नल से भी डा. वर्मा काफी समय तक जुड़े रहे। उत्तराखंड के सहकारिता आंदोलन के जनक डा आर के वर्मा रहे। उत्तराखंड में सबसे पहले जर्नलिस्ट क्लब ,उत्तराखंड फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ,फिल्म फेस्टिवल कमेटी के जज ,देश दुनिया के समाचार पत्रों की प्रदर्शनी आदि डा वर्मा के प्रमुख क्षेत्र रहे। वहीं डा. आर के वर्मा उत्तर प्रदेश फिल्म बोर्ड के सदस्य रहने के साथ ही उत्तराखंड की फिल्म पॉलिसी समिति के संयोजक रहे । फिल्म फेस्टिवल 2005 की कमेटी का उन्हे ज्यूरी मेंबर बनाया गया था।
डा आर के वर्मा का नाम 2005 एवम 2006 में मुख्यमंत्री उत्तराखंड द्वारा पदम श्री पुरुस्कार के लिए भी भेजा गया। डा वर्मा के परिवार में पत्नी स्नेह वर्मा, चार पुत्र संजीव वर्मा राजीव वर्मा, मनीष वर्मा, सचिन वर्मा एवं दो पुत्रियों बिंदु एवं ऋतु मित्रा। छोटे भाई अशोक वर्मा के मुताबिक उनके पार्थिव शरीर को आज 3 बजे दाह संस्कार के लिए 10 गांधी रोड देहरादून से श्मशान घाट लक्खीबाग ले जाया जाएगा।

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