उत्तराखंड

रिस्पना और बिंदाल नदी में एलिवेटेड रोड के प्रोजेक्ट पर मैड संस्था करेगी विरोध


रिस्पना और बिंदाल नदी में एलिवेटेड रोड के प्रोजेक्ट पर मैड संस्था करेगी विरोध
देहरादून।
रिस्पना और बिंदाल नदियों पर एलेवेटेड सड़क निर्माण पर देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग ए डिफ्रेंस बाए बीईंग द डिफ्रेंस (मैड) ने विरोध के स्वर बुलंद कर दिए हैं। देहरादून शहर में विगत ग्यारह वर्षों से रिस्पना व बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन पर लगातार अभियान चला रही मैड संस्था ने एसे किसी भी प्रोजेक्ट का विरोध करने की बात कही है, जो देहरादून की नदियों व संबंधित पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के बुनियाद पर आधारित होगी।

पत्रकारों से वार्ता करते हुए मैड के सदस्यों ने बताया कि एक ओर सरकार की तमाम बातें और प्रयास, रिस्पना पुनर्जीवन के मामले खोखले साबित हुए हैं। वहीं दूसरी ओर, नीति नियोजन के मामले पर या धरातल पर कुछ भी करने पर, सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। आज भी रिस्पना-बिंदाल नदियां प्रदूषण के प्रकोप से त्रस्त हैं। उन पर रह रहे लोग हर वर्ष बारिश के मौसम में बाढ़/नदी कटाव की चपेट में आते हैं। साथ ही डेंगू-मलेरिया की वजह से त्रस्त रहते हैं। रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के नाम पर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने इन दोनो नदियों में बेइंतहा पैसा लगाया गया है। इस सबके बीच, ‘रिस्पना से ऋषिपर्णा’ की बात करने वाली इस सरकार को और कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इन दोनों नदियों के पुनर्जीवन पर ही अपना पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए। साथ ही साथ रिस्पना में डाली गई सीवर लाइन को भी हटाना चाहिए। इस बात पर बल देते हुए कि मैड की ओर से सरकार द्वारा किए गए सरकार के हर सकारात्मक प्रयास का समर्थन किया गया है। मैड संस्था के सदस्यों ने अवगत कराया कि राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की की 2014 की रिपोर्ट में रिस्पना और बिंदाल नदी के पुनर्जीवन का पूरा खाका खींच दिया गया है। इन दोनों नदियों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए चारखाल की पुरानी रीति से इन के ऊपरी क्षेत्र के कैचमेंट एरिया और बहाव क्षेत्र को संरक्षण और अतिक्रमण-मुक्त करने की ज़रूरत है। इस पर बल देते हुए, नीचे आते हुए भी, नदियों के नदी तल और नदी तट को अतिक्रमण से मुक्त कराकर, इसमें फैले व्यापक प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदारी तय करना आवश्यक है। बिना यह करे, सरकार की सभी बातें ढकोसला से अधिक कुछ नहीं मानी जा सकतीं।

मैड ने यह भी ऐलान किया कि उसकी ओर से देहरादून शहर के सैकड़ों युवाओं को एक बार फिर नदी पुनर्जीवन पर एकत्रित किया जाएगा और एक व्यापक जनसहभागिता अभियान की शुरुआत दस हजार लोगों के पुनर्चक्रित कागज़ पर हस्ताक्षर लेकर हर स्तर पर उठाई जाएगी। मैड ने चेतावनी दी है कि नदी पुनर्जीवन से पहले, और किसी तरह के प्रयास को आगे नहीं ले जाने दिया जाएगा। गौरतलब है कि मैड के ही सुझाव पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को उत्तराखंड सरकार का एक लक्ष्य बनाया था।

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