
देहरादून। रैफेल संस्था 3 से 6 दिसंबर 2025 तक अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगता सप्ताह मना रही है। इसी क्रम में, वीरवार को रैफेल द्वारा दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के द्वार के पास व सभागार में एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया।
नाटक का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगता के बारे में जागरूकता फैलाना, इससे जुड़ी उपेक्षा व मिथकों/भ्रमों को दूर करना तथा निदान एवं उपचार के संबंध में सही जानकारी उपलब्ध कराना था।
इसके बाद द्वितीय तल के पठन कक्ष में फ़्लैश-मॉब शैली का स्ट्रीट प्ले प्रस्तुत किया गया। यह अनपेक्षित प्रस्तुति वहाँ अध्ययन कर रहे पाठकों को आश्चर्यचकित करते हुए दिव्यांगता और सुगमता (Accessibility) पर सोचने के लिए प्रेरित करने हेतु विशेष रूप से की गई थी।
कार्यक्रम के दौरान एक रोचक और विचारोत्तेजक संवाद भी सामने आया। दून इंटरनेशनल स्कूल के एक छात्र ने तर्क दिया कि दिव्यांग बच्चों को नियमित विद्यालयों में शामिल करने के बजाय उनके लिए विशेष विद्यालय होने चाहिए। इस पर एक अन्य छात्र ने नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कहा कि समावेशी और समग्र शिक्षा अनिवार्य है तथा दिव्यांग और सामान्य क्षमता वाले बच्चों को साथ पढ़ना चाहिए। यह संवाद कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रहा, जिसने उपस्थित लोगों को शिक्षा के समावेशी दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया।
दोनों प्रस्तुतियाँ रैफेल के विशेष शिक्षकों तथा दिव्यांग बालिका सोना पटेल द्वारा की गईं।
कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा और वहाँ उपस्थित जनसमुदाय को दिव्यांगता के प्रति प्रभावी रूप से संवेदनशील किया गया।



