
पौड़ी। उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास मंत्री रहते हुए पूरे पर्वतीय क्षेत्र को विकास की राह दिखाने वाले जौरासी गांव, विकास खंड के निवासी स्वर्गीय नरेंद्र सिंह भंडारी की अष्ट धातु की प्रतिमा आज उनके पैतृक गांव जौरासी जाखधार में शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण कंटीली झाड़ियों और विच्छू घास के बीच ढकी हुई है। स्वर्गीय नरेंद्र सिंह भंडारी तीन बार संयुक्त उत्तर प्रदेश में विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे। 1958 में पहली बार वे 7 बद्री-केदार विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। 1972-73 में पर्वतीय विकास मंत्री के रूप में उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया।
उनकी देन के रूप में 118 किलोमीटर लंबा रुद्रप्रयाग-पोखरी-हापला-गोपेश्
संयुक्त जनपद चमोली में शामिल रुद्रप्रयाग और चमोली के नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए उनके प्रयासों से जिला चिकित्सालय गोपेश्वर की स्थापना हुई। पोखरी में शिक्षा को बढ़ावा देने और नौनिहालों को इंटरमीडिएट तक शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से 1970 में राजकीय इंटर कॉलेज नागनाथ की स्थापना भी उनके प्रयासों से हुई।
इन सभी विकास कार्यों के बावजूद शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण उनकी पैतृक गांव जौरासी जाखधार में लगाई गई अष्ट धातु की प्रतिमा उपेक्षित हालत में पड़ी है। प्रतिमा को एक छोटे से प्रतीक्षालय में रखा गया है, जिसके बाहर लोहे की ग्रिल लगाई गई है, लेकिन चारों ओर गंदगी का ढेर लगा हुआ है। कंटीली झाड़ियां और विच्छू घास उगने से प्रतिमा ढकी हुई है और दिखाई नहीं दे रही।
पूर्व प्रधानाचार्य कुंवर सिंह चैधरी, कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व जिलाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह नेगी, नगर पंचायत अध्यक्ष सोहन लाल, पूर्व प्रमुख नरेंद्र रावत, सामाजिक कार्यकर्ता और भाजपा नेता आनंद सिंह राणा ने शासन-प्रशासन की इस महान पुरुष की प्रतिमा के प्रति उपेक्षा पर नाराजगी जताई है। उन्होंने मांग की है कि तुरंत सम्मान के साथ प्रतिमा को उचित स्थान पर स्थापित किया जाए।