उत्तरप्रदेश

अलख सर ने वाराणसी के गुरुकुलम स्कूल के पहले वार्षिक कार्यक्रम में विद्यार्थियों के सांस्कृतिक प्रदर्शन को सराहा

वाराणसी। गुरुकुलम स्कूल ने हाल ही में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों ने अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में पारंपरिक और आधुनिक प्रस्तुतियों का खूबसूरत संगम देखने को मिला, जिसमें रचनात्मक कहानी-कथन, भूमिका-निर्वहन, और मल्टीमीडिया प्रस्तुतियों के जरिए भारतीय शिक्षा के विकास को उजागर किया गया। विद्यार्थियों ने प्राचीन गुरुकुल प्रणाली से लेकर आधुनिक शिक्षा की यात्रा को दर्शाया, जिसमें समग्र शिक्षा और शिक्षक-छात्र के मजबूत संबंधों पर जोर दिया गया।
गुरुकुलम स्कूल की प्रिंसिपल, प्रियंका मुखर्जी ने कहा, “हमारे वार्षिक कार्यक्रम ने हमारे विद्यार्थियों की रचनात्मकता और प्रतिभा को खूबसूरती से प्रस्तुत किया। यह उनके एक महीने की मेहनत का परिणाम है। हमें गर्व है कि अलख सर ने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम को गौरवान्वित किया। जहां शैक्षणिक उपलब्धियां महत्वपूर्ण हैं, वहीं ऐसे कार्यक्रम भी विद्यार्थियों के आत्मविश्वास और टीम वर्क को बढ़ाने में मदद करते हैं। गुरुकुलम स्कूल में, हम विद्यार्थियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि वे व्यक्तिगत और शैक्षणिक सफलता के लिए तैयार हो सकें।”
अलख सर ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और विद्यार्थियों ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत परेड से हुई, और एक खास पल तब आया जब एक विद्यार्थी ने अलख सर जैसे कपड़े पहनकर मंच पर उनका स्वागत किया। स्वर्गीय सर रतन टाटा जी को श्रद्धांजलि स्वरूप, विद्यार्थियों ने उनका एक कलात्मक चित्र बनाया और गंगा के वाराणसी घाटों के दृश्य को पुनः निर्मित किया, जिसमें केवल रिसाइकिलेबल सामग्रियों का उपयोग किया गया। इस अवसर पर स्कूल ने “Reverberations” नामक एक अंग्रेजी कहानी संग्रह का भी लॉन्च किया। यह किताब विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के मार्गदर्शन में लिखी गई है, जिसमें जादुई रोमांच से लेकर दोस्ती की भावनात्मक कहानियों तक विभिन्न विषय शामिल हैं, जो उनके रचनात्मक विचारों को दर्शाती हैं।
विद्यार्थियों ने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के माध्यम से आधुनिक मूल्यों और अनुशासन को प्रदर्शित करते हुए, भविष्य की कक्षाओं की कल्पना की, जिनमें एआई, ऑगमेंटेड रियलिटी और पर्सनलाइज्ड लर्निंग जैसे तकनीकी उपकरण शामिल थे। यह कार्यक्रम भारत की शैक्षिक विरासत और उसके उज्जवल भविष्य की झलक दिखाने के साथ-साथ स्कूल की रचनात्मकता और सांस्कृतिक जागरूकता को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वाराणसी के दाफी मुगलसराय बाईपास NH2 (चकिया) स्थित गुरुकुलम स्कूल, जो सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित है, जीवन कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है और शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए 500+ विद्यार्थियों का नामांकन हो चुका है। यह स्कूल प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक की शिक्षा प्रदान करता है और इसका पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है। स्कूल वित्तीय साक्षरता और उद्यमशीलता पर विशेष ध्यान देता है, जिसे मॉडल यूनाइटेड नेशंस (MUN) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से और अधिक बढ़ावा दिया जाता है। गुरुकुलम एक आवासीय विद्यालय है, जो युवाओं को जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक बनाने का लक्ष्य रखता है।

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