उत्तराखंड: यूसीसी विधेयक सदन में पास

उत्तराखंड: यूसीसी विधेयक सदन में पास
देहरादून। उत्तराखण्ड की विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक बहुमत से पारित कर दिया गया है। बिल पारित होते ही सदन में जय श्री राम,वंदे मातरम और भारतमाता की जय के नारे लगे। मुख्यमंत्री धामी ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता बिल पेश किया था।
बुधवार शाम यूसीसी विधेयक पर सीएम ने सदन में चर्चा पर जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक पूरे देश को राह दिखायेगा। समान अधिकारों की रक्षा करेगी। सामाजिक ढांचे को मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा कि यूसीसी कानून में जरूरी संशोधन भी किये जाएंगे।
सीएम ने राज्य आंदोलन के शहीदों को याद करते हुए कहा कि जो संकल्प लिया था वो अब पूरा हुआ। इसके लिए जनता बधाई की हकदार है। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है।
कहा कि हमने 2022 को कहा था कि नई सरकार का गठन होते ही समान नागरिक संहिता बनाएंगे। पांच सदस्यीय ड्राफ्ट कमेटी बनाई। जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मांणा गांव से संवाद शुरू किया। वहीं प्रीतम सिंह, बेहड़, भुवन कापड़ी समेत कई विधायकों ने यूसीसी विधेयक को संविधान की कई धाराओं के उल्लंघन बताया और कहा कि विधेयक में कुछ भी नया है।
यूसीसी में ये है खास
शादी की उम्र
बहुत से धर्म ऐसे हैं जहां अभी भी 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की शादी हो जाती है, सभी धर्मो की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है।
तलाक
समान नागरिक संहिता में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं, अब पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी।
वसीयत
समान नागरिक संहिता लागू होने से पूर्व मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जो अब सभी के लिए समान होंगे। कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है।
उत्तराधिकार
अब लडकों के समान लड़कियों को उत्तराधिकार में बराबर अधिकार प्रदान किया गया है। संहिता में सम्पति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल-अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है।
अधिकार क्षेत्र
विवाह पंजीकरण
शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
बहु विवाह
पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धमों में एक पति-एक पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है।
लिव इन रिलेशनशिप
अब युवा वर्ग को लिव इन में रहने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, बता दें कि विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे। इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को सम्पूर्ण अधिकार दिए गए हैं। राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में संचालित सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा। राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा